Saturday, November 03, 2012

चुपके चुपके रात दिन आंसू बहाना याद है


चुपके चुपके रात दिन आंसू बहाना याद है
हमको अब तक आशिकी का वोह ज़माना याद है
चुपके चुपके रात दिन आंसू बहाना याद है 
  
खींच ले ना वोह मेरा परदे का कोना दफ्फतन 
और दुपट्टे से तेरा वोह मुंह छुपाना याद है
हमको अब तक आशिकी का वोह ज़माना याद है 
चुपके चुपके रात दिन आंसू बहाना याद है
 
दो पहर की धुप में मेरे बुलाने के लिए
वोह तेरे कोठे पे नंगे पॉँव आना याद है
हमको अब तक आशिकी का वोह ज़माना याद है 
चुपके चुपके रात दिन आंसू बहाना याद है

बेरुखी के साथ सुनना दर्द ए दिल की दास्तान
वोह कलाई  में तेरा कंगन घुमाना याद है
हमको अब तक आशिकी का वोह ज़माना याद है 
चुपके चुपके रात दिन आंसू बहाना याद है

वक्ते रुकसत अलविदा का लफ्ज़ कहने के लिए
वोह तेरे सूखे लबों का थर थराना याद है
हमको अब तक आशिकी का वोह ज़माना याद है 
चुपके चुपके रात दिन आंसू बहाना याद है

आगया अगर वस्ल की शबभी कही ज़िक्रे फिराक 
वोह तेरा रो रो के अभी मुझको रुलाना याद है 
हमको अब तक आशिकी का वोह ज़माना याद है 
चुपके चुपके रात दिन आंसू बहाना याद है
                                         -गुलाम अली 


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